cyber crime in hindi

भारत इंटरनेट इस्‍तेमाल करने वाला दुनियॉ का तीसरा देश है। आप अपने कंप्‍यूटर, मोबाइल आदि से कहीं न कहीं इंटरनेट से जुडें हैं इसलिये साइबर क्राइम, साइबर अपराध, साइबर-आतंकवाद जैसे शब्‍दों के बारे में अापका जानना बहुत जरूरी है।
साइबर क्राइम कई प्रकार का होता है - 

निजी जानकारी चुराना - 

इसे साधारण भाषा में या हैकिंग करते हैं, इससे साइबर अपराधी आपके कंप्‍यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर आपकी निजी जानकारी जैसे - आपका नेटबैंकिग पासवर्ड, आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि काे चुरा लेते हैं और इसका दुरूपयोग करते हैं, इसी का दूसरा रूप होता है फिंशिग, जिसमें आपको फर्जी ईमेल अादि भेजकर ठगा जाता सकता है
जिस प्रकार मछली पकडने के लिये कॉटे में चारा लगाकर डाला जाता है और चारा खाने के लालच या धोखे में आकर मछली कॉटें में फंस जाती है। उसी प्रकार फ़िशिंग (Phishing) भी हैकर्स (Hackers) द्वारा इन्‍टरनेट पर नकली वेबसाइट (Fake Website) या ईमेल (Email) के माध्‍यम से इन्‍टरनेट यूजर्स के साथ की गयी धोखेबाजी (scams) को कहते हैं। जिसमें वह आपकी निजी जानकारी (personal information) को धोखेबाजी (scams)  के माध्‍यम से चुरा लेते हैं और उसका गलत उपयोग करते हैं -

क्‍या हैै फिशिंग अटैक

यह अपराधी फ़िशिंग के माध्‍यम से आपको नकली ईमेल या संदेश भेजते हैं, जो किसी प्रतिष्ठित कम्‍पनी, आपकी बैंक, आपकी क्रेडिट कार्ड कम्‍पनी, ऑनलाइन शॉपिंग की तरह मिलते-जुलते होते हैं, अगर आप सतर्क नहीं हैं तो आप इनके झॉसे में जल्‍द ही आ जाते हैं। इन नकली ईमेल (Fake email) या संदेश का उद्देश्‍य से आपकी PII यानी पर्सनल आइडेंटिफाइएबल इन्फ़ॉर्मेशन (Personally identifiable information) को चुराना है। पर्सनल आइडेंटिफाइएबल इन्फ़ॉर्मेशन (Personally identifiable information) के अन्‍तर्गत आपकी निजी जानकारियॉ आती है जैसे - 
  1. आपका नाम 
  2. आपकी ईमेल यूजर आई0डी
  3. आपका पासवर्ड 
  4. आपका मोबाइल नम्‍बर या फोन नम्‍बर
  5. आपका पता
  6. बैंक खाता नम्‍बर
  7. एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड नम्‍बर 
  8. एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड आदि का वेलिडेशन कोड
  9. आपकी जन्‍मतिथि 

वायरस फैलाना 

साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्‍यूटर का काफी हानि पहुॅचा सकते हैं। 

वायरस के विपरीत ” Worms” को एक होस्‍ट की जरूरत नहीं होती। वे तब तक रेप्लिकेट होते रहते हैं, जब तब वे सिस्टम में उपलब्ध सभी मेमोरी को खा नहीं लेते।
कंप्यूटर वायरस आमतौर पर रिमूवेबल मीडिया या इंटरनेट के माध्यम से स्‍प्रेड होते है। एक फ्लैश ड्राइव, सीडी-रॉम, मैग्‍नेटिक टेप या अन्य स्टोरेज डिवाइस जो कि पहले से वायरस से इन्फेक्टेड हैं। इसके साथ ही ईमेल अटैचमेंट, वेबसाइट्स या इन्फेक्टेड सॉफ़्टवेयर से भी वायरस आने का खतरा बना रहता हैं।
जब‍ एक पीसी पर वायरस आ जाता हैं, तब वह नेटवर्क दवारा सभी पीसी पर स्‍प्रेड होता हैं। सभी कंप्यूटर वायरस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इकोनॉमिकल डैमेज के कारण होते हैं।
इसके आधार पर, वायरस की दो कैटेगरीज बनाई गई हैं:
1) जो कि केवल स्‍प्रेड होते हैं और जानबूझकर नुकसान का कारण नहीं बनते हैं
2) जिन्‍हे नुकसान का कारण बनने के लिए प्रोग्राम किया जाता हैं।

सॉफ्टवेयर पाइरेसी

सॉफ्टवेयर की नकली तैयार कर सस्‍ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्‍तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं। 

फर्जी बैंक कॉल- 

आपको जाली ईमेल, मैसेज या फोनकॉल प्राप्‍त हो जो आपकी बैंक जैसा लगे जिसमें आपसे पूछा जाये कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गयी तो आपको खाता बन्‍द कर दिया जायेगा या इस लिंक पर कर सूचना दें। याद रखें किसी भी बैंक द्वारा ऐसी जानकारी कभी भी इस तरह से नहीं मॉगी जाती है और भूलकर भी अपनी किसी भी इस प्रकार की जानकारी को इन्‍टरनेट या फोनकॉल या मैसेज के माध्‍यम से नहीं बताये। 

सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना 

बहुत से लोग सोशल नेटवर्किग साइटों पर सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादें समझ नहीं पाते हैं और जाने-अनजाने में ऐसे लिंक्‍स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर-आतंकवाद की श्रेणी में आता है। 


एफ़टीपी पासवर्ड की चोरी:

यह वेब साइटों के साथ छेड़छाड़ करने का एक और आम तरीका है। एफ़टीपी पासवर्ड हैकर्स इस बात का फायदा उठाते कि कई वेबमास्टर्स अपनी लॉगइन इनफॉर्मेशन को अच्‍छी तरह से प्रोटेक्‍ट न किए गए पीसी पर स्‍टोर करते हैं।
हैकर्स एफ़टीपी लॉगिन डिटेल्‍स के लिए विक्टिम के सिस्‍टम को सर्च करता है, और फिर उन्हें अपने रिमोट कंप्यूटर पर भेजता है। वह फिर अपने रिमोट पीसी के माध्यम से वेब साइट पर लॉग ऑन करता है और वेब पेजेसे को जैसे चाहे मॉडिफाइ करता हैं।

लॉजिक बम:

एक लॉजिक बम, जिसे “slag code” भी कहा जाता है, यह मालिसियस कोड होता है, जिसे एक विशेष इवेंट द्वारा ट्रिगर किए जाने पर मालिसियस टास्‍क्‍ को एक्सिक्‍यूट करने के लिए सॉफ़्टवेयर में जानबूझकर डाला जाता है।
यह वायरस नहीं है, फिर भी यह आमतौर वायरस के जैसे ही व्यवहार करता है। यह किसी प्रोग्राम में चुपके से डाला जाता है और यह तब तक निष्क्रिय रहाता हैं, जब तक विशिष्ट कंडीशन नहीं आ जाती। विशिष्‍ट कंडीशन में वे एक्टिवेट हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए, कुख्यात “Friday the 13th” वायरस केवल विशिष्ट तारिख पर हमला करता था; यह जिस महिने की 13 तारीख को शुक्रवार आता था उसी दिन हमला करता था और सिस्‍टम को स्‍लो कर देता था।


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